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ट्रांस्फ्यूज़न मेडिसिन तथा डायटेटिक्स विभाग द्वारा रक्तदान सम्बन्धी जनजागरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

१६ जून को ट्रांस्फ्यूज़न मेडिसिन तथा डायटेटिक्स विभाग द्वारा एक रक्तदान सम्बन्धी जनजागरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में रक्तदान के बारे में जानकारिया दी गयी। यह बताया गया की रक्तदान पूर्णतया सुरक्षित है तथा हर स्वस्थ पुरुष तीन महीने में एक बार तथा ,हर महिला ४ महीने में एक बार रक्तदान कर सकती है। डायटेटिक्स बिभाग द्वारा यह बताया गया की हेमोग्लोबिन कम से कम १२.५ ग्राम /१०० ml होना चाहिए। जिसे बनाये रखने के लिए लोगो को फलों और हरी सब्जयों का प्रचुर मात्रा में उपयोग करना चाहिए।

 डायटीशियन द्वारा यहाँ बताया गया की लोहे के बर्तन में खाना बनाने से प्रचुर मात्रा में आयरन मिलता है ,जो की हेमोग्लोबोन बनाने का महत्वपूर्ण तत्त्व है। इस अवसर पर छोटे बच्चो ने और डाइटिशियन ने मिलकर रक्तदान के महत्व पर एक बहुत अच्छी नाट्य प्रस्तुति की। इस संसथान के निदेशक  प्रोफ. आर के धीमान ने यह बताया की एक यूनिट खून से तीन व्यक्तियों की जान बचायी जा सकती है। रक्त के अलावा प्लाज्मा और प्लेटलेट भी विशिस्ट प्रक्रिया द्वारा अलग करके मरीजों की जान बचाने के उपयोग किया जाता है। प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष (न्यूरोसर्जरी) तथा ट्रामा सेंटर के इंचार्ज ने ट्रामा के व्यक्तियों में त्वरित रक्तदान के महत्व को बताया। डॉ हर्षवर्धन ,विभागाध्यक्ष हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ,डॉ प्रीती ऐलहेन्स ,विभागाध्यक्ष , ट्रांस्फ्यूज़न मेडिसिन ,डॉ भारत सिंह ,अस्सिस्टेंट प्रोफेसर ट्रांस्फ्यूज़न मेडिसिन ने रक्तदान के महत्व को बताया। प्रोफ एल के भारती ,नोडल ऑफिसर ,डायटेटिक्स डिपार्टमेंट ने बताया की कोई भी व्यक्ति हथेली तथा जिव्हा के रंग को देखकर अपने हीमोग्लोबिन के स्तर का एक अनुमान लगा सकता है। अगर जिव्हा का रंग या हथेली लाल गुलाबी है तो हीमोग्लोबिन लगभग ठीक है। छोटे बच्चो में एक ही यूनिट के रक्त से २ या तीन बच्चो को रक्तदान दिया जा सकता हैं।

 ऑर्गेनाइजर डायटीशियन मोनिका और को ऑर्गेनाइजर प्रीति और आयशा अन्य डायटीशियन ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।कार्यक्रम में रक्तदान पर एक प्रश्नोत्तरी किया गया जिसमे मरीजों तथा उनके तीमारदारों को फल वितरित करके उनका प्रोत्शाहन किया गया।

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