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सितम्बर का महीना आते ही डेंगू का मामला सामने आने लगता है

डेंगू
सितम्बर का महीना आते ही डेंगू का मामला सामने आने लगता है और अक्टूबर मे अपने चरम  पर पहुंच जाता है । न जाने कितने लोग इसकी गिरफ्त मे आ जाते है, कुछ सही होते है और कुछ दुनिया को छोड़ कर चले जाते है ।
हर साल इसका जैसे मानो तो सीजन सा आता है और अपने साथ एक सैलाब सा लता है और बहुतों की दुनिया को उजाड़ जाता है ।
मगर एक बात समझ में नहीं आती कि अगर डेंगू की बीमारी है तो इसका इलाज और इलाज से संबंधित दवाइयों का अकाल क्यों है!
अगर इलाज है तो लोगों को जान क्यों गवानी पडती है ? 
पहले का समय ये था की ना इतनी बीमारी होती थी और ना बीमार होते थे,  मगर आज देखा जाये तो तरह तरह की बीमारी होने लगी है जिस के कारण आम लोगो की दुनिया उजड़ती जा रही है ।
 डेंगू  भी एक महामारी का रूप लेने लगी है , 
बीते कुछ दिन पहले जब कोरोना महामारी आई थी तो कुछ भी ठीक नहीं था फिर धिरे धिरे स्थिति  काबू मे आयी और उसकी काट भी निकल आई और लगभग 3 साल मे सब कुछ ठीक सा हौ गया और आम नागरिक कोरोना का टिका लगवा कर भय मुक्त हौ गया ।
हर इंसान को पता था की कोरोना जैसी महामारी कुछ दिन रहेगी फिर अपने समय के अनुसार चली जाएगी
मगर डेंगू की बीमारी हर साल आती है और किसी की बहु बेटी बेटा पोता पिता पत्नी किसी ना किसी को ले कर चली जाती है!
मगर इसकी ना तो कोई कारगर दवा है ना कोई टिका.
सरकार को इस पर विचार करना चाहिए
या
वैज्ञानिकों से 
सरकार को इस पर बात करना चाहिए की कोई ऐसा टिका या दवा के बारे मे खोज शुरू करें ताकि इंसान की जान बच सके और  टिका या दवा बना दे ताकी टिका लगने के बाद या दवा खाने के बाद इंसान को परेशानियों का सामना ना करना पड़े और वह भय मुक्त होकर जीये।
क्यों की जब तक ये काम नहीं होगा तब तक इंसान के दिल मे डर और दहशत बनी रहेगी ।

इंसान की जान बहुत कीमती है ।

मेरी बाते सही है या गलत मुझे ज़रूर बताऐं ।

 शाहबाज अंसारी

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