किस कसौटी पर जनता करेगी मतदान
किस कसौटी पर जनता करेगी मतदान ?
, गोंडा
जैसे जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है प्रत्याशी मतदाताओं को तरह तरह के लुभावने सपने दिखाने लगे हैं।
जनपद की सातों विधान सभाओं में इस बार चुनाव राजनैतिक पार्टियां नही अपितु नेताओं का अपना वर्चस्व लड़ाई में है, एतव माना जा रहा है की इस बार निराशाजनक परिणाम के जिम्मेदार वे लोग होंगे जो टिकट न मिलने की वजह से दूसरी पार्टियों का दामन थाम चुके हैं, चाहे वो भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहें हो अथवा भाजपा छोड़ कभी सपा में तो कभी अन्य दलो में शामिल होने का दांव खेल कर अपने को अवसर वादी साबित कर चुके हैं।
इन गतिविधियों के बीच यह जानना दिलचस्प हो गया है की इस बार चुनाव में जनता किस पर विश्वास करेगी, एक तरफ सत्ता पाने लिए सजातीय ठेकेदार हैं, दूसरी तरफ क्षेत्र को अपना परिवार मान कर पूरी निष्ठा से जनता के बीच पूरा जीवन लगा देने वाले लोग हैं।
राजनीति का मूल स्वभाव क्षेत्र का विकास, लोगों की उन्नति, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवायें, बेहतर कानून ब्यवस्था, बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से परिभाषित होती है, जन अपेक्षाओं की कसौटी पर अगर परिणामों का अनुमान लगाया जाय तो पिछले पांच वर्षों का कार्यकाल टटोला जाना ज़रूरी हो जाता है, जो केवल चन्द कार्यकर्ताओं को खुश रखने के लिए बिताया गया है, योजनायें धरातल पर भी उतारी गयीं लेकिन उन योजनाओं को भी उन्ही चन्द कार्यक्रताओं की ख़ुशी तक ही सिमित रखा गया।
विधान सभा को कई सड़कों की सौगात भी मिली, तमाम ऐसी सड़के भी बनी जो मात्र एक ही वर्ष में फिर बनने लायक हो चुकी हैं, चुनाव के समय पशुओं को आश्रय केंद्र में पहुंचाने की कवायदें शुरू की गयीं, रोजगार का कोई अवसर न होने की वजह से युवा आज भी अपना घर परिवार छोड़ कर दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए मजबूर हैं।
भेदभाव का ये दंश केंद्र अथवा राज्य सरकार के लिए निराशाजनक साबित हो सकती है, ढुलमुल कार्यशैली के बावजूद जिन प्रत्याशियों पर पार्टियों ने भरोसा जताया है उन पर जनता कितना विश्वास करेगी ये बताने के लिए जनता पूरी तरह सज्ज है।
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