भाजपा ने किया तय,हारी हुई सीटों पर नहीं रिपीट किए जाएंगे प्रत्याशी
लक्ष्मीकांत बाजपेई का भी फंसेगा टिकट
लखनऊ।भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की उन 78 सीटों पर 2017 के अपने प्रत्याशियों को रिपीट नहीं करेगी। जो चुनाव हार गए थे।इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं। सबसे बड़ा नाम मेरठ से लक्ष्मीकांत बाजपेई का है। भाजपा ने 403 विधानसभा सीटों में से 325 पर जीत दर्ज की थीं। लेकिन 78 सीटों पर उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा था। इसलिए हारे हुए भाजपा नेताओं को पार्टी अबकी टिकट नहीं देगी।भाजपा संगठन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वैसे तो पार्टी करीब डेढ़ सौ टिकटों को काटने या बदलने की पूरी तैयारी कर चुकी है। यह करीब तय हो चुका है कि जो प्रत्याशी 2017 में चुनाव हार गए थे। उनको टिकट देना लगभग असंभव है। पार्टी यह मान चुकी है कि कि जब लहर की स्थिति में जीत नहीं पाए थे तो अब उनका जीत पाना लगभग असंभव है।गौरतलब है कि प्रचंड लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के 78 प्रत्याशियों को 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।हार की समीक्षा चुनाव के तत्काल बाद की गई थी।जिसमें संगठन ने पाया था कि कई जगह प्रत्याशी का व्यक्तिगत प्रभाव, कई स्थानों पर प्रत्याशी की जाति का प्रभाव और कुछ जगह अन्य प्रकरणों की वजह से हार हुई थी। बनारस के हाल संगठन का मानना था कि जिस तरह की लहर थी उसमें निश्चित तौर पर 50 और सीटें जीतने की स्थिति में थी। मगर प्रत्याशी के ही प्रभाव की वजह से या हार हुई थी। भाजपा अपनी इन 78 सीटों को हार को काफी गंभीरता से ले रही है।इसलिए इन हारे हुए प्रत्याशियों को टिकट न देने का निर्णय लगभग किया जा चुका है।संगठन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शायद ही कोई ऐसा प्रत्याशी होगा जो 2017 में चुनाव हारा हो और उसको इस बार टिकट मिल सके। सभी जगहों पर नए उम्मीदवारों को स्थान दिया जाए। राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो केवल हारे हुए ही क्यों भाजपा में बड़ी संख्या में जीते विधायकों के टिकट भी बदलने पड़ेंगे। अनेक इलाकों से विधायकों की रिपोर्ट ही बहुत खराब है। इसलिये तय है कि 78 हारे हुए के अलावा बड़ी संख्या में जीते हुए विधायकों के भी टिकट कटेंगे।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक वर्मा ने बताया कि यह तो तय है कि पार्टी उन्हीं प्रत्याशियों को टिकट देगी जो मजबूत होंगे। जनता द्वारा स्वीकार्य होंगे और जीत हासिल करके देंगे। इसलिए प्रत्येक स्तर पर फीडबैक लिए जा रहे हैं। मंडल स्तर से लेकर जिला स्तर तक की प्रतिक्रियाओं के आधार पर संगठन तय करेगा कि किस प्रत्याशी को टिकट दिया जाए।
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