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रोजगार छूटने और महंगाई के चलते सरकारी स्कूलों में बढ़े बच्चों के दाखिले


अंबेडकर नगर
*रोजगार छूटने और महंगाई के चलते सरकारी स्कूलों में बढ़े बच्चों के दाखिले*
अम्बेडकरनगर कोरोना महामारी के दौरान रोजगार छूटने और बेकाबू महंगाई से परेशान अभिभावकों ने राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों की तरफ रुख कर लिया है। राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में इस वर्ष छात्रों की बढ़ी संख्या इसका संकेत दे रही है। वित्तविहीन विद्यालयों में अधिक फीस होने के कारण आर्थिक रूप से परेशान अभिभावकों ने वहां से अपने बच्चों के नाम पृथक करा कर सरकारी विद्यालयों में लिखवा दिया है।कोरोना महामारी के कारण तमाम लोगों की नौकरी छूट गई और बेरोजगार हो गए। जो दिल्ली मुंबई में कमाते थे वे घर आ गए। इसलिए उनके बच्चे अब कान्वेंट स्कूलों में ना पढ़कर राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों की तरफ जाने लगे हैं। हिंदुस्तान ने जिले के राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से जानकारी जुटाई तो पता चला विद्यालयों में इस वर्ष छात्र संख्या में ठीक-ठाक वृद्धि हुई है। इसका सीधा सीधा कारण है कि निजी विद्यालयों में मोटी फीस होने के कारण अभिभावक उसे चुकाने में अपने आप को अक्षम पा रहे हैं। इसलिए उन्होंने अपने बच्चों का नाम राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में लिखा दिया है। जिले के गांधी स्मारक इंटर कॉलेज राजेसुल्तानपुर के शिक्षक उदयराज मिश्र का कहना है कि पूर्व में उनके यहां छात्र संख्या 2452 थी जो इस बढ़कर 3000 तक हो गई है। इसी तरह से अन्य विद्यालयों में भी छात्र संख्या में वृद्धि हुई है। अभिभावक राकेश कुमार का कहना है कि कान्वेंट विद्यालयों में छात्रों की फीस इतनी ज्यादा है उसे चुका पाना संभव नहीं है। प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ तारा वर्मा ने बताया कि विद्यालयों से यह सूचना मिल रही है कि इस वर्ष छात्र संख्या में इजाफा हुआ है। रजिस्ट्रेशन समाप्त होने के बाद वास्तविक संख्या पता चलेगी।छात्रों की संख्या बढ़ने से बैठने की समस्या राजकीय एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षों की संख्या कम होने से छात्र संख्या बढ़ने पर बैठने की समस्या खड़ी हो गई है। कई विद्यालयों के प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके पास बैठने की व्यवस्था ना होने के कारण छात्रों को वापस कर दिया गया है। क्योंकि प्रवेश लेने से पठन-पाठन प्रभावित होता। राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में पहली बार ऐसा हुआ है कि छात्र संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अन्यथा वहां पर छात्र संख्या कम होने की खबरें रहती थी। यह स्थिति करोना महामारी में आर्थिक समस्या खड़ी होने से हुई है।कोरोना काल मे पढ़ाई ना होने के बाद भी निजी विद्यालयों की तरफ से उसकी फीस मांगी जा रही थी, जिसे चुका पाना संभव नहीं था। सरकार की तरफ से भी कोरोना काल के समय की फीस ना लेने के लिए कोई आदेश नहीं आया था। इसलिए विद्यालय तरफ से इसे छोड़ा नहीं जा रहा था। जिसके कारण उन्होंने अपने बच्चों का नाम कन्वेंट स्कूल से हटा का सरकारी में करा दिया।रामेश्वर पाठक, अभिभावक यह सही है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों ने सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराया है। बातचीत के दौरान यह बात सामने आई। अभिभावक मौजूदा समय में आर्थिक रूप से परेशान हैंl

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