धागे के दाम में बेतहाशा वृद्धि से वस्त्र उद्योग धड़ाम
*धागे के दाम में बेतहाशा वृद्धि से वस्त्र उद्योग धड़ाम*
अंबेडकरनगर: महीनों तक लाकडाउन के बाद बुनकर कमर सीधी भी नहीं कर पाए थे कि धागे के दामों में बेतहाशा वृद्धि से एक बार फिर वस्त्र उद्योग पर ग्रहण लग गया है। धागे की महंगाई के चलते बुनकरों के पावरलूम धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं। उन्हें सरकार से अविलंब मदद की दरकार है।सरकार ने स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना में वस्त्र उद्योग को शामिल कर बुनकरों के लिए कई कार्यक्रम बनाए। बुनकरों को इसका लाभ भी मिला। घर-घर कुटीर उद्योग की तरह विस्तारित वस्त्र उद्योग पूरी रफ्तार से दौड़ने लगा। लेकिन, कोविड महामारी के पांव पसारते ही यह उद्योग तबाही के कगार पर खड़ा हो गया। हर शनिवार यहां लगने वाली कपड़े की मंडी में कारोबारियों की आमद कम होने से व्यापार सिमटता गया। लाकडाउन हटने के बाद बुनकरों को पक्का भरोसा था कि दिवाली में कपड़े के बाजार में उछाल रहेगी। वे जोरशोर से वस्त्र उत्पादन की तैयारी में थे, लेकिन धागे के दाम बेतहाशा उछलने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।अचानक बढ़े दाम: बुनकरी की भाषा में स्टेपल कहा जाने वाला विस्कोस धागा स्टाल लेडीज जेंट्स (गमछा) निर्मित करने में प्रयोग किया जा रहा है। विस्कोस धागा लगभग 60 फीसद पावरलूम पर प्रयोग हो रहा है। 230 रुपये किलोग्राम बिकने वाला विस्कोस इन दिनों बाजार में 290 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है।रोटो और काटन धागों को मिलाकर करके मिक्स गमछे निर्मित किए जा रहे हैं। रोटो धागे में 55 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम का उछाल आया है। 130 रुपये किलोग्राम के धागे की कीमत 190 रुपये तक पहुंच गई है। इससे चार से छह रुपये प्रति पीस लागत बढ़ गई।पीवी 32 धागे का भाव 190 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर बाजार में 235 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है। ऐसे में पावरलूम बंद करने की मजबूरी है, क्योंकि बाजार में इस भाव में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। माल की निकासी नहीं हो पा रही है।धागों के दाम में उछाल से सात-आठ रुपये प्रति पीस लागत बढ़ गई है। ऐसे में बाजार में खरीदारों का टोंटा है। धीरे-धीरे पावरलूम बंद हो रहे हैं।रईस अहमद, बुनकर बाजार में धागे के दामों में उछाल पर सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। वस्त्र उद्योग को बचाने के लिए बुनकरों को सब्सिडी दी जाए।
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