20 हजार मजदूरों की 80 लाख रुपए की मजदूरी एक माह से बकाया
*20 हजार मजदूरों की 80 लाख रुपए की मजदूरी एक माह से बकाया*
अम्बेडकरनगर। मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के सामने काम के बाद मजदूरी मिलने का ही हमेशा संकट बना रहता है। पिछले एक माह से मजदूरी न मिलने से मजदूरों की दीपावली ही फीकी हो सकती है। जिले 20 हजार से अधिक मजदूरों का 84 लाख 20 हजार रुपये इस समय बकाया है।गांव में रोजगार पाने और अपनी जिंदगी गुजर बसर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर मनरेगा में हाड़ तोड़ मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें इसके बदले समय से मजबूरी नहीं मिल पा रही है। जबकि एक फिल्म का डायलॉग है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए। लेकिन जिले में ऐसा नहीं है। काम करने के बाद मजदूर महीनों तक मजदूरी मिलने का इंतजार करते रहते हैं। मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए काम तो करते हैं, लेकिन उसका भुगतान होने में महीनों लग जाते हैं। हालांकि मनरेगा योजना में यह बताया गया है कि 14 दिन के बाद मजदूरी न मिलने पर उन्हें भत्ता दिया जाएगा। लेकिन शायद यह केवल कागजी बातें हैं। जिले में वैसे तो तीन लाख से अधिक जॉब कार्ड धारक परिवार हैं, लेकिन सक्रिय रूप से काम करने वाले डेढ़ लाख परिवारों के मनरेगा में काम करने के अलावा कोई चारा नहीं है। गांव के लोग बताते हैं कि समय से मजदूरी ना मिलने के कारण मजदूर काम के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं करते हैं। मांगने के बाद भी लगातार मजदूरों को काम नहीं मिल पाता है। इसलिए वे मनरेगा के अलावा दैनिक मजदूरी के लिए व्यवस्था किए रहते हैं।मनरेगा ग्राम प्रधानों के लिए दुधारू गाय ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा प्रधानों के लिए किसी दुधारू गाय से कम नहीं है। प्राय: यह शिकायत सामने आती है कि बिना काम कराए पैसा निकाल लिया गया। या जेसीबी के माध्यम से काम करा दिया गया और पैसा निकाल लिया गया। कभी-कभी तो मजदूरी ना करने के बाद भी लोगों के खाते में मजदूरी जाने की शिकायतें आती रहती हैं। अधिकारियों की तरफ से मॉनिटरिंग में लापरवाही की जाती है। इसके चलते आए दिन भ्रष्टाचार के मामले के सामने आते हैं। अपनी गर्दन बचाने के लिए अधिकारी उस पर पर्दा डालते हैं। कई बार मिट्टी के कार्य एक पंचवर्षीय योजना के दौरान दो बार करा दिए जाते हैं क्योंकि मिट्टी के कार्य में भ्रष्टाचार की संभावना अधिक रहती है।
सामग्री का एक करोड़ रुपए बकाया मनरेगा योजना से काम करने के दौरान ग्राम पंचायतों में जिन सामग्रियों का कार्य किया जाता है उनका भुगतान करने में भी सरकार की तरफ से लेटलतीफी की जा रही है। वर्तमान समय में पिछले कई माह का सामग्री का भुगतान लंबित है। मनरेगा की वेबसाइट पर एक करोड़ रुपए सामग्री का बकाया दर्शाया जा रहा है। कई बार इस संबंध में ग्राम प्रधान अधिकारियों से अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं कि काम कराने के बाद भी सामग्री का भुगतान होने में महीनों लग जाते हैं।
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