किसानों की आय 2022 तक दोगुनी होगी यह भी एक जुमला साबित होगा----डॉ विजय शंकर तिवारी
*किसानों की आय 2022 तक दोगुनी होगी यह भी एक जुमला साबित होगा----डॉ विजय शंकर तिवारी*
जिला कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी डॉ विजय शंकर तिवारी अंबेडकर नगर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी 2016 को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि आने वाले 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तो किसानों की आय दोगुनी हो चुकी होगी। 2022 आ रहा है क्या किसानों की आय दोगुनी हुई ? या ये भी एक जुमला ही निकलेगा। हम देख रहे हैं कि आय तो दुगुनी हुई नहीं बल्कि हाय दुगुनी हो गयी। मोदीराज देश की 135 करोड़ जनता की समस्याओं का समंन्दर बन चुका है। एक झूठ बोल कर दूसरा झूठ बडी सफाई से बोलने वाले प्रधानमंत्री मोदी अपने ही झूठ के मकड़ जाल में फंसते चलें जा रहे हैं। किसानों की आय से लेकर आम लोगों से किए एक भी वायदे पर आजतक अमल होने की बात छोड़िए दूर - दूर तक उस योजना का कोई नामोंनिशान तक कहीं नहीं होता। किसान पिछले एक वर्ष से तीन काले बिल के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं,मजाल है कान पर जूं तक रैगीं हों। उल्टा सर फोड़ने के आदेश दिए गए। आखिर आंख मूंद कर बैठी इस गूंगी बहरी सरकार को ग़रीब जनता का दर्द नहीं दिखाई देता। महँगाई की मार झेल रही ग़रीब जनता, मजदूर, किसान और बेरोजगारों का मानना हैं कि मोदी योगी कुछ दिनों के ही मेहमान है लेकिन ये कुछ दिन देश की जनता को बहुत ही महंगे पडने वाले हैं। जब मोदी सत्ता से हट रहें होंगे देश विकट आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा होगा। ग़रीब लोग आर्थिक तंगी की स्थिति में होंगे। फिलहाल किसानों की आय को छोड़ कर सभी वस्तुओं की कीमतों में दोगुनी - तिगुनी वृद्धि हुई है यही सरकार की उपलब्धि है। अब पेट्रोल 112, गैस 960, सरसो का तेल 210 हैं। ये झांसे, जुमलों, झूठे वादों पर चुनाव जीतने में कुशल है। मीडिया प्रभारी डॉ विजय शंकर तिवारी ने कहा कि जुमला शब्द स्वयं कभी इतना शर्मशार नही हुआ होगा जितना उसे नेताओं ने किया। देश मे कर्षि पर नीतियां बनाने वाले वे लोग है जिन्होंने जीवन मे कभी खेती किसानी नही की है, सिर्फ किताबी ज्ञान है। देश के कर्षि पर 80 करोड़ लोगों का जीवनयापन होता है। देश के मौजूदा हालात यह हैं कि खेती-बाड़ी में ही देश के लोगों को ही ठीक-ठाक रोज़गार मिल रहा है,लेकिन सरकार के सहयोग से कारपोरेट घराने देश के लोगों के ज़्यादातर हाँथों से खेती किसानी के रोज़गार को भी नहीं रहनें देना चाहतें हैं। सारा खेल पूँजीवादी व्यवस्था के हाँथों में मौज़ूदा सरकार ने देने की ठान ली है। आनें वाले समय में खेत तो किसानों का होगा लेकिन वह खेती कारपोरेट घरानों के लिए ही करेंगे। पूँजीवादी नफा में भागीदार तो होंगे लेकिन नुक़सान सिर्फ़ और सिर्फ़ किसानों का नसीब होगा।
डॉ विजय शंकर तिवारी मीडिया प्रभारी कांग्रेश ने बताया कि ऐसा नही है कि कहने के लिए कुछ काम नही हुआ, 2017 में सबसे पहले किसानों की आमदनी दोगुनी करने के वादे को पूरा करने के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसको नाम दिया गया डीएफआईसी (डबलिंग फार्मर्स इन्कम कमिटी) इस समिति ने कहा कि 2015-16 के आधार वर्ष के आधार पर किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने के लिए हर साल कृषि आय में 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी।10.4 प्रतिशत सालाना की इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी के लिए क्या नीतियां अख्तियार की जानी चाहिए? इस सवाल का जवाब तलाशने में डीएफआईसी को एक साल और लगे और उसने 2018 के सितंबर में अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट पेश की लेकिन इन सिफारिशों का क्या हाल हुआ कोई नही जानता इन सिफारिशों के सामने आने के बाद जितने यूनियन बजट पेश हुए उनमें से किसी भी बजट में इस बहु-प्रचारित मिशन के मद में अलग से आवंटन नहीं हुआ। इस बीच किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में जो एकमात्र कदम उठाया गया वह था हर किसान परिवार को साल में छह हजार रुपये देना लेकिन डीएफआईसी ने तो अपनी रिपोर्ट में ये सुझाव ही नहीं दिया था। पिछले पांच सालों में, किसानों की आमदनी दोगुना करने के वादे के बाद से मोदी सरकार ने ऐसा कोई आंकड़ा नहीं जुटाया या जारी किया जो बताये कि किसानों की आमदनी में क्या बढ़ोतरी हुई. सरकार ने ऐसा कोई सर्वेक्षण भी ना करवाया जो बताये कि इस राष्ट्रीय मिशन ने क्या प्रगति की है,बल्कि दूसरी तरह रातों रात देश के कृषकों पर तीन काले कानून बनाकर लाद दिए गए। अगर किसी को पता हो तो जरूर बताए नही तो मान ले कि 'किसान की आमदनी दोगुनी’ करना कभी भी एक जुमले से अधिक नही था।जैसे GDP दोगुनी हुई वैसे ही किसानों की आय दोगुनी हुई है। हाँ खुद की दोगुनी क्या चोगुनी हो गई। ये कहते कुछ है करते कुछ है और होता कुछ और ही है। यही तो 7 साल से जनता के साथ हो रहा है। चुनावो के वक़्त दो हजार देके किसानों का वोट लिया। उसके बाद बाकी तो डीजल खाद बीज सब महँगा कर दिया। इनके तो बहुत अच्छे दिन आ गए लेकिन देश की इकोनॉमी की वाट लगा दी है। अब यह बातें देश हर आम ख़ास नागरिकों को समझनी होगी कि इस "जादूगर" की जान मीडिया में है।
Post a Comment