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*अस्पतालों व घरों पर इलाज करा रहे मरीजों की मुश्किलें बढ़ी*

अंबेडकर नगर
*अस्पतालों व घरों पर इलाज करा रहे मरीजों की मुश्किलें बढ़ी*
अम्बेडकरनगर।विश्वकर्मा ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूटर प्लांट में स्थानीय प्रशासन ने ताला बंद कर बची हुई ऑक्सीजन गैस को सुरक्षित कर लिया है। इसके चलते ऑक्सीजन को लेकर नागरिकों में हड़कंप मच गया है। दूरदराज व आसपास के जनपदों से आए लोगों को कई घंटे लाइन में सिलेंडर लेकर लगे रहने के बाद भी मायूसी हाथ लगी। इससे प्राइवेट अस्पतालों व घरों पर इलाज करा रहे मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रविवार को मरीजों के परिवारीजन सुबह से ही सिलेंडर लेकर परेशान रहे। थक हार कर दोपहर बाद मायूस होकर लौट गए।बताते चलें कि रविवार को ऑक्सीजन की लिक्विड की गाड़ी नहीं आयी। इसके चलते पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं हो पाया। सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दिक्कत न हो, इसके चलते प्रशासन ने बची हुई ऑक्सीजन को रिजर्व कर लिया। रविवार की सुबह आम नागरिक पहुंचे और अपने मरीजों के लिए सिलेंडरों को रिफिल कराने का इंतजार करने लगे। उन्हें बाद में बताया गया कि आज मरीजों को सीधे तौर पर रिफिल करने की कार्यवाही बंद रहेगी।कहा गया कि गैस की गाड़ी नहीं आई है। दोपहरमेंविश्वकर्माऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूटर प्लांट पर कुछ सत्तादल के नेता व एसडीएम अभिषेक पाठक पहुंचे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। केवल इतना कहा कि ऑक्सीजन जो बची है, वह मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल के लिए है। सुल्तानपुर, बस्ती, जौनपुर के बीच में अंबेडकरनगर की बुनकर नगरी टांडा में एक मात्र निजी ऑक्सीजन प्लांट लगा है। इसकी क्षमता 20 टन की है। इससे मौजूदा समय में आसपास के जिले में सप्लाई के साथ जिला अस्पताल व महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सददरपुर व कोविड एल-2 अस्पताल टांडा को सप्लाई दी जा रही थी।मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन गैस आपूर्ति का ठेका प्रयागराज की एक कंपनी ने लिया था। लेकिन उसने इस महामारी में हाथ खड़ा कर लिए हैं। इस कारण विश्वकर्मा डिस्ट्रीब्यूटर पर उसका भी बोझ बढ़ गया है। विश्वकर्मा के डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि बोकारो प्लांट से लिक्विड का टैंकर 20 टन लिक्विड लेकर आया था, जिसमें 10 टन ही टांडा में उतारा गया। बाकी 10 टन लिक्विड संतकबीर नगर जिले में लगे प्लांट को भेज दी गई। यदि शासन प्रशासन समय से लिक्विड पूरी मात्रा में सुनिश्चित कराता रहे तो ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। ऑक्सीजन लेने वाले मरीजों के परिवारीजन रविवार को पूरे दिन चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई उचित जवाब नही मिल सका। इससे उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा।

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