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*भारतीय जनता पार्टी की हुई करारी हार को लेकर राजनीतिक सरगर्मी हुई तेज*

अंबेडकर नगर
*भारतीय जनता पार्टी की हुई करारी हार को लेकर राजनीतिक सरगर्मी हुई तेज*
अंबेडकरनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य पद पर भारतीय जनता पार्टी की हुई करारी हार को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। पार्टी नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना शुरूकर चुके हैं। सोशल मीडिया पर आरोपों की झड़ी लग गई है। पार्टी की करारी हार से टिकट बंटवारे में बरती गई मनमानी भी सतह पर आ गई है । पार्टी के बागियों ने चुनाव परिणाम को बुरी तरह से प्रभावित किया है।जिला पंचायत सदस्य के लिए आये इस चुनाव परिणाम का जिम्मेदार कौन है, पार्टी नेतृत्व की कौन सी ऐसी नीतियां रही जिसके कारण से इस चुनाव में भाजपा की बुरी तरह से फजीहत हुई, इसको लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से तैयारी कर रही थी। पार्टी नेतृत्व ने विधानसभा वार प्रभारी भी नियुक्त कर रखे थे। इसके अलावा मंडलवार बैठक आयोजित कर कार्यकर्ताओं को लगातार दिशा निर्देश दिए जाते रहे। इसके बावजूद चुनाव परिणाम आने पर भारतीय जनतापार्टी के प्रत्याशी बुरी तरह से हार गए। इसके लिए पार्टीकोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए फलों की मांग चरम पर में आंतरिक स्तर पर चल रही गुटबाजी को प्रमुख कारण माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व ने भी कभी इस गुटबाजी को दूर करने की पहल नहीं की। पार्टी नेता हमेशा एक दूसरे का पैर खींचते ही देखे गए। इसी का परिणाम रहा कि विधानसभा चुनाव के पूर्व हुए इस चुनाव में भाजपा हासिये पर पहुंच गई है। देखना यह है कि बुरी तरह मिली शिकस्त के बाद भाजपा के नेता आत्म मंथन करते हैंअथवा अपने पुराने ढर्रे पर ही चलते जाते हैं। वैसे तो अंबेडकरनगर कभी भी भाजपा के लिए अनुकूल नहीं
साबित हो रहा था लेकिन पार्टी के बड़े नेता भी इस चुनाव में धूल चाट जाएंगे, इसकी संभावना तो नहीं थी।
यदि पार्टी नेताओं ने अब भी अपने कार्य व्यवहार में परिवर्तन लानेकीआवश्यकता नहीं समझी तो वह दिनदूर नहीं है जब आगामी विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी हाशिए पर ही नजर आएगी। अब
देखना यह है कि इस करारी हार का ठीकरा किसी के सिर फोड़ता है अथवा पार्टी नेतृत्व इस हार के साथसमझौता कर लेता है।

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