आज सलामत रहे तो कल की सहर देखेंगेआज पहरे मे रहे तो कल का पहर देखेंगें .
आज पहरे मे रहे तो कल का पहर देखेंगें .
सासों के चलने के लिए कदमों का रुकना ज़रूरी है
घरों मेँ बंद रहना दोस्तों हालात की मजबूरी है .
अब भी न संभले तो बहुत पछताएंगे
सूखे पत्तों की तरह हालात की आंधी मे बिखर जाएंगे .
यह जंग मेरी या तेरी नहीं हम सब की है
इस की जीत या हार भी हम सब की है .
अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीना है
यह जुदाई का ज़हर दोस्तो घूंट घूंट पीना है .
आज महफूज़ रहे तो कल मिल के खिलखिलाएँगे
गले भी मिलेगे और हाथ भी मिलाएंगे .
*2 गज की दूरी,मास्क है जरूरी*
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