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चातुर्मास के बारे में जाने ।

1 जुलाई 2020 बुधवार को देवशयनी एकादशी है ।
एकादशी व्रत जोकि सभी जनमानस के लिए है , श्री हरि ( विष्णु ) का शास्त्र - विधि व परंपरा के अनुसार पूजन कर शयन कराना चाहिए । इसी के साथ चातुर्मास ( अधिमास ) का प्रारंभ हो जाएगा।
इस बार चातुर्मास चार की बजाय 5 महीने का होगा।
श्राद्ध पक्ष के बाद आने वाले सारे त्यौहार 20 से 25 दिन देरी से आएंगे। इस बार अश्विन मास ( महीना ) का अधिक मास है, मतलब दो अश्विन मास होंगे । इस महीने में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्यौहार हैं। आमतौर पर श्राद्ध खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्र प्रारंभ हो जाता है , लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा । 

17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे और अगले दिन से चातुर्मास यानी  (अधिमास) प्रारंभ होगा , जो 16 अक्टूबर तक चलेगा । 17 अक्टूबर से नवरात्रि आरंभ हो जाएगा ।
 इस तरह श्राद्ध और नवरात्रि के बीच इस साल 1 महीने का होगा । विजया दशमी 26 अक्टूबर को और दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी ( प्रबोधिनी एकादशी) के साथ चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाएगा ।

चतुर्मास में क्या करना चाहिए - इस अवधि के दौरान अपने इष्ट देवता का जप , तप , स्वाध्याय , दान ,हवन , गौ सेवा , तीर्थाटन , संत दर्शन आदि । 
अतः मलमास की अवधि में मनुष्य को अपने समस्त दूषित कर्म,अहंकार,द्वेष,वासना को त्याग कर भगवत भजन कर स्वयं की सद्गति को साध लेना चाहिए।

दूसरी अवस्था में मलमास को आत्मशोधन का काल भी माना गया है जिसमें मनुष्य को सांसारिक कर्मों से विमुख हो कर स्वयं की आत्मा का शोधन करना चाहिए क्योंकि ज्योतिष में सूर्य आत्मा के कारक हैं और बृहस्पति मुक्ति के। इन दोनों की इस अवस्था मे मनुष्य स्वयं की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

ज्योतिषी कारण-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु व मीन में गोचर करते हैं तो यह काल बृहस्पति के निस्तेजन का काल माना जाता है। क्योंकि सूर्य तेजस्वी ग्रह हैं वे जब बृहस्पति की राशि मे प्रवेश करेंगे तो उनके बल व प्रभाव को प्रभावित करते हैं,साथ ही बृहस्पति के निस्तेजन से सूर्य का बल भी प्रभावित होता है। दोनों ग्रह का बल व प्रभाव परस्पर कम होता है। यह काल मलिन दशा के अंतर्गत आता है इसलिए इसे मलिन या मल मास कहा जाता है

चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए - समस्त शुभ कार्य जैसे गृहप्रवेश, मुंडन,यज्ञोपवित, विवाह संस्कार आदि वर्जित हैं।आज से चातुर्मास इसका यम- नियम पालन करने वाले , व्रत करने वालों को साग का त्याग करना चाहिए । आज से विवाह आदि शुभ कार्यों का 4 माह तक निषेध होता है। आज चातुर्मास व्रत के अनुष्ठान हेतु संकल्प लेना चाहिए। 

ज्योतिषाचार्य- पं. रोहित नंदन मिश्र के अनुसार - हर 3 साल में आता है अधिमास 

चातुर्मास में भगवान श्री हरि विष्णु विश्राम करते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं । देवउठनी एकादशी के बाद विष्णु फिर सृष्टि का भार संभाल लेते हैं।

अधिमास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
मान्यता है कि मलीन मास होने की वजह से कोई भी देवता इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता तब मलमास ने भगवान श्री हरि की प्रार्थना की।
मलमास की प्रार्थना सुनकर  आशीर्वाद दिया ।
श्री हरि ने इसे अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया ।
श्री हरि ने मलमास को वरदान दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण , मनन भगवान शिव का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान करेगा उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होगा।

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