जनपद न्यायाधीश ,अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर के निर्देशानुसार28-07- 2020 को जिला कारागार अंबेडकरनगर में मानवाधिकार विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया
अमरजीत त्रिपाठी जनपद न्यायाधीश ,अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर के निर्देशानुसार28-07- 2020 को जिला कारागार अंबेडकरनगर में मानवाधिकार विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान आफ एक्शन 2020 के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश अमरजीत त्रिपाठी, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर के निर्देश के क्रम में आज जिला कारागार अंबेडकर नगर में मानवाधिकार विषय पर बाल संप्रेक्षण गृह अयोध्या में बाल तस्करी एवं यौन शोषण विषय पर तथा महिला शरणालय अयोध्या में घरेलू हिंसा विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया l इन शिविरों में श्रीमती पूजा विश्वकर्मा अपर जिला जज, द्वितीय, विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस गैंगस्टर अधिनियम, अंबेडकर नगर अशोक कुमार सचिव/सिविल जज (सी० डी०), जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर, सुश्री प्रीति भूषण सिविल जज जू० डी० टांडा अंबेडकर नगर द्वारा जनपद अंबेडकर नगर में संचालित एडीआर भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इन शिविरों में प्रतिभाग किया एवं जिला कारागार अंबेडकर नगर से जेल अधीक्षक रमाकांत दोहरे, डिप्टी जेलर राजेश कुमार, जिला कारागार अंबेडकर नगर, बाल संप्रेक्षण के लिए अयोध्या से अधीक्षक एवं महिला शरणालय कृष्ण भगवान मिश्र, श्रीमती भारती शुक्ला प्रभारी दीक्षिका द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त शिविर में प्रतिभाग किया गया l
अशोक कुमार सचिव सिविल जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिविर को संबोधित करते हुए बताया कि सामान्य जीवन यापन के लिए प्रत्येक मनुष्य के लिए अपने परिवार, कार्य सरकार और समाज पर कुछ अधिकार होते हैं जो आपसी समझ और नियमों द्वारा निर्धारित होते हैं इसी के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता दी गई जिसमें भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक मनुष्य को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं l मानवाधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन स्वतंत्रता, समानता क्यों प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है l यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग 3 में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है l जिनको भारतीय संविधान में सुनिश्चित करता है बल्कि इसका उल्लंघन करने वालों को अदालत सजा भी देती है मानवाधिकार के कुछ अनुच्छेद द्वारा सरलता से समझा जा सकता है l जैसे सब लोग गरिमा और अधिकार के मामले में बराबर हैं अर्थात सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है l नस्लें, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार राष्ट्रीयता या सामाजिक उत्पत्ति, संपत्ति जन्म आप जैसी बातों पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता चाहे कोई देश या प्रदेशों तंत्र हो, संरक्षित हो या परमीत प्रभु सत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनीतिक क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फर्क नहीं रखा जाएगा सचिव महोदय ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, आजादी और सुरक्षा का अधिकार है, गुलामी या दासता से आजादी का अधिकार अर्थात किसी भी व्यक्ति को गुलामी या दास्तां में नहीं रखा जा सकता है गुलामी प्रथा पूरी तरीके से नीसिद्ध होगाl किसी को शारीरिक यातना नहीं दी जा सकती और ना किसी का अपमान किया जा सकता है
उप शिविर में संप्रेक्षण ग्रह किशोरअयोध्या मैं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बाल तस्करी तथा योन शोषण विषय पर विधिक साक्षरता शिविर में प्रतिभाग किया गया सचिव महोदय द्वारा जानकारी दी गई इसके अतिरिक्त महिला शरणालय अयोध्या में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से घरेलू हिंसा विषय पर विधिक साक्षरता शिविर में प्रतिभाग किया गया
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