CoronaVirus को हराना है तो करें ये आसन, जानिए क्या है करने का सही तरीका
प्राण वायु के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करें
सारिका बताती हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को प्राण वायु अधिक मात्र में मिलती है। इससे शरीर के सभी अंगों से दूषित पदार्थ बाहर निकल आते हैं। तेज गति से श्वास लेने और छोड़ने के क्रम में हम ज्यादा मात्र में ऑक्सीजन लेते हैं और कॉर्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं। यह प्रक्रिया फेफड़ों की कार्यक्षमता तो बढ़ाती ही है, हृदय में रक्त नलिकाएं भी शुद्ध और मजबूत बनती हैं। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम तेजी से काम करता है, जिससे पेट के अंग मजबूत होकर सुचारू रूप से कार्य करते हैं और हमारी पाचन शक्ति सुदृढ़ होती है।
ऐसे करें किसी आरामदायक आसन पद्मासन या पालथी मारकर बैठ जाएं। फिर मेरुदंड और सिर को सीधा रखें। आंखें बंद करें। पूरा शरीर शिथिल करें। गहरी श्वास लें और नासिका से बलपूर्वक श्वास छोड़ें। तुरंत बाद उतनी तेजी से श्वास लें और फिर छोड़ें। दस बार ऐसा करें। यह एक चक्र है। पांच चक्र तक इसका अभ्यास करें।
नाड़ी शोधन के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम को सबसे प्रमुख प्राणायाम माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से नाड़ी शोधन होने के साथ शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलती है। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही मन भी प्रसन्न रहता है। साथ ही असंख्य बीमारियों का धीरे-धीरे नाश होने लगता है।
ऐसे करें
दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए। अब अनामिका अंगुली से बाई नासिका को बंद कर दें। इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें। अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड दें। दूसरी बार में आप जिस नासिका से सांस छोड़ रहे हैं उसी से दोबारा सांस को अंदर लेकर दूसरी नासिका से छोड़ना है।
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