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पुलिस के मनमाने रवैये से आजिज़ पत्रकार अजीत कुशवाहा ने प्राइवेट तौर से कराई एक्सरे जांच

पुलिस के मनमाने रवैये से आजिज़ पत्रकार अजीत कुशवाहा ने प्राइवेट तौर से कराई एक्सरे जांच

*फ्रैक्चर स्थान की स्वैलिंग कम होने पर आज छ दिन बाद लगा प्लास्टर...!*

*एक माह तक के लिए आर्थो चिकित्सक ने लगाया प्लास्टर...!* 

वाराणसी/रेनूकूट! योगी राज में भी पत्रकारों के साथ अमानवीय व्यवहार, हिंसक मारपीट रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पत्रकारों द्वारा पुलिस प्रशासन के भ्रष्ट क्रिया कलापों को उजागर करना उन पत्रकारों के लिए काल बनता जा रहा है। अमानवीयता और निरंकुशता का आलम तो यह है कि क्षेत्राधिकारी लेबिल के पुलिस उच्चाधिकारी भी अपने मातहत कर्मचारियों के भ्रष्ट क्रिया कलापों व हरकतों पर जानते बूझते हुए पर्दा डालने का प्रयास करते हैं। 

बहुत दूर मत जाइए! ताजा-ताजा मामला दिनांक 7 मई 2020 की शाम 5.30-5.50 की है जब आधा दर्जन से ज्यादा रंगरूट पुलिस कर्मियों ने निष्पक्ष व निर्भीक वरिष्ट पत्रकार अजीत कुमार कुशवाहा को अकारण स्थानीय पुलिस की साजिश व शह पर बेहिसाब लाठियां बरसा कर अधमरा कर दिया। मरणासन्न हालत देख परिजनों ने हो हल्ला मचाया तो पास ही चन्द कदम की दूरी पर खड़े चौकी प्रभारी रेनूकूट गोवर्धन सिंह और थाना प्रभारी पिपरी अभय नारायण तिवारी सदल बल मौके पर आए और पीट कर अधमरा करने वाले पुलिसकर्मियों को मौके से भगा दिया।

पत्रकार अजीत कुशवाहा से स्थानीय पुलिस की खुन्नस यहीं नहीं खत्म होती, तड़पा तड़पा कर मार डालने की नीयत से पहले तो एक सामान्य से डाक्टर के पास ले गए, उसके द्वारा इलाज से इंकार करने पर नामी गिरामी हिन्डाल्को के अस्पताल ले गये। इस घंटे पत्रकार अजीत कुशवाहा दर्द से तड़पता रहा पर कठोर दिल इंसान पुलिसकर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ।

इन पुलिसकर्मियों की पत्रकार अजीत कुशवाहा से किसी बात को लेकर इतनी तगड़ी खुन्नस थी कि हिंडाल्को अस्पताल प्रबंधन द्वारा केश हिस्ट्री लिखने, केश डायग्नोस कर प्रपत्र तैयार करने, चोटों का मुआयना करने और तदनुसार सभी चोटों का एक्सरे कर पुलिस चौकी इंचार्ज गिरधारी सिंह को इलाज करने की बात कहने के बाद भी न वहां फ्रैक्चर स्थान पर प्लास्टर कराया गया ना बेसिक ट्रीटमेंट कराया गया और फिर तीन घंटे वहां टाईम पास करने के बाद दर्द से बेहाल अजीत कुशवाहा जी को अमानवीयता की हदें पार करते हुए क्षेत्राधिकारी पिपरी कार्यालय ले जाया गया। सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार आयोग सभी निर्देशित कर चुके हैं कि पहले तो घायल का इलाज कराया जाए फिर वैधानिक कारर्वाई अमल में लाई जाए। क्षेत्राधिकारी ने भी ध्यान नहीं दिया और दर्दनाक पीड़ा से गुजर रहे अजीत कुशवाहा से अपने पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए उलजुलूल पूछताछ करने में एक घंटे व्यतीत कर दिए।

फिर न जाने क्या आपसी साजिश हुई प्रभारी थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज रेनूकूट में कि हिन्डाल्को की जांच, एक्सरे रिपोर्टों को कूडेदान की वस्तु समझते हुए कुल पांच घंटे बाद म्योरपुर पीएचसी ले गए जहां साजिश रची और पीएचसी के डाक्टर से उस स्थान के एक्सरे को एडवाईज न लिखने को कहा जहां वास्तव में फ्रैक्चर रहा।
दर्द से बेहाल अजीत कुशवाहा तबसे पुलिस प्रशासन के हर अधिकारियों से गुहार लगा लिया पर किसी ने चोटिल स्थान के एक्सरे कराने या इलाज कराने की जहमत नहीं उठाई, मजबूरन उसे चोपन जाकर डिजीटल एक्सरे कराना पड़ा और आज सूजन कम होने पर प्लास्टर कराना पड़ा।

चक्रब्यूह को आर्थो चिकित्सक ने बताया उक्त स्थान पर फ्रैक्चर रहा जिसे आज पक्का प्लास्टर एक माह के लिए कर दिया है। एक माह बाद फिर एक्सरे कराकर देखा जाएगा फिर प्लास्टर खोलने पर विचार किया जाएगा।

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