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अंबेडकरनगरयदि सरकार अब भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश को नज़रअंदाज़ करती है, तो इसका संदेश तो यही होगा कि उसे भी कोई परवाह नहीं है।

*एक आधी-अधूरी योजना के साथ लॉकडाउन नयी चुनौतियों को देता जन्म*

अंबेडकरनगर
यदि सरकार अब भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश को नज़रअंदाज़ करती है, तो इसका संदेश तो यही होगा कि उसे भी कोई परवाह नहीं है।

कोविड-19 महामारी और इससे जुडी चिंताओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार की उदासीनता इस हक़ीक़त से साफ़ तौर पर सामने आयी है कि देशव्यापी लॉकडाउन के बीच भी प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों को नुकसान और मौत का सामना करना पड़ा।
इस अचानक हुई घोषणा के बाद, अफ़सरों को उन प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा को भांपने में 48 घंटे लग गये, जो अपने-अपने मूल स्थानों के लिए जाना शुरू कर चुके थे। यह इस हक़ीक़त को और पुख़्ता करता है कि अपने सभी तरह के बढ़ा-चढ़ाकर किये जाने वाले दावों के बीच सरकार इस स्थिति की गंभीरता से बेख़बर रही।

अफ़सरों ने लॉकडाउन की घोषणा से पहले न तो किसी तरह की तैयारी की और न ही कोई योजना बनायी, इसलिए, जब उन्हें लगा कि इतनी देर हो गयी है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कुछ सख़्त किये जाने की ज़रूरत है, तो उन्होंने एक झटके वाले अंदाज़ में यह फ़ैसला कर लिया। इस प्रक्रिया में वे भूल गये कि एक और मानव त्रासदी सामने आने वाली थी, क्योंकि लोग अपनी नौकरी गंवा चुके थे या वे अपने आश्रयों के बाहर क़ैद थे, जहां सुरक्षा का कोई सहारा नहीं था, और उनके पास इस बात के अलावा कोई चारा भी नहीं था कि वे सैकड़ों मील दूर अपने-अपने गांवों स्थित घर लौट जायें।
लॉकडाउन क्रूर और सख़्त हो जाता है। यह भारतीय राज्य और समाज के बारे में कुछ कड़वी सचाइयों को उजागर करता है, जिसकी गहरी जड़ों में दारारें हैं और जिसके भीतर घोर असहमति है और जिसमें दया और सहानुभूति की कमी है। 
जिले में बाहर के प्रदेशों से मजदूर बसों से अधिक से अधिक संख्या में आना शुरू हुए हैं। रोजाना गुजरात, मुंबई राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों से लगातार आ रहे लोग चुपके से घर में ही छुप जा रहे हैं। शहजादपुर कस्बे में कुछ लोगों की सूचना मुंबई से आने की मिली जिसको प्रशासन को सुबह से 7 बार अवगत कराया गया परंतु प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई जिसके कारण नगर के लोग भयभीत हैं। अगल-बगल के लोगों द्वारा अगर प्रशासन को सूचना भी दिया  फिर भी प्रशासन क्वॉरेंटाइन करने की जहमत नहीं लेता । खासबात यह है कि न तो इन मजदूरों की अस्पताल में सही ढंग से जांच हो पा रही है और न ही बार्डर पर जांच हो रही है। जांच न हो पाने से अंचल में कोरोना का संक्रमण फैलने का अधिक खतरा हो गया है।
यदि अंबेडकर नगर जनपद की यही स्थिति रही तो ग्रीन जोन से रेड जोन में जाने में तनिक भी समय नहीं लगेगा।

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