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संकल्प मानव सेवा संस्था के संस्थापक समाजसेवी सूरज गुप्ता ने सी.एम. योगी से की विद्यालयों में फीस माफी की मांग

संकल्प मानव सेवा संस्था के संस्थापक समाजसेवी सूरज गुप्ता ने सी.एम. योगी से की विद्यालयों में फीस माफी की मांग

न्यूज़ 24 इंडिया अम्बेडकरनगर 
रिपोर्टर बजरंगी लाल।

देश में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु बीते मार्च माह के 25 तारीख से पूर्णतया लाकडाउन घोषित किया गया है, फलतः सभी शिक्षण संस्थाएँ और भीड़-भाड़ व महत्वपूर्ण सार्वजनिक निजी संस्थाओं/प्रतिष्ठानों में तालाबन्दी चल रही है। बीच-बीच में देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के प्रभाव के घटने-बढ़ने से लाकडाउन में ढील और सख्ती बरती जा रही है। बहरहाल! उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जनपद में लाकडाउन सख्ती से लागू है। 45 दिनों से कोरोना मुक्त रहने वाला यह जिला बीते दिवस कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने से अतिसंवेदनशील हो गया। लाकडाउन घोषणा के उपरान्त प्रदेश और केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों में शिक्षण संस्थाओं में फीस व परिवहन शुल्क में छूट दिये जाने का निर्देश दिया गया था, साथ ही अन्य विभागीय, राजकीय देय राजस्वों की वसूली में ढिलाई बरते जाने की बातें कही गई थीं। 

लाकडाउन की स्थिति में काम-काज ठप्प, रोजी-रोटी की आपा-धापी, आर्थिक रूप से तंग लोगों के समक्ष दो वक्त की रोटी के लाले, लोग निर्माण इकाइयों के ठप्प होने की वजह से एकदम बेरोजगार से होकर पेट पर हाथ रखकर भूखों सोने को मजबूर। सर्वत्र हाहाकार......अब ऐसे में अम्बेडकरनगर जिले के समस्त शिक्षण संस्थाओं में बीते महीने की फीस वसूली किया जाना अत्यन्त शोचनीय बनता जा रहा है। नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। महंगे निजी प्रबन्धन के स्कूलों व मिशनरी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से फीस व परिवहन शुल्क की वसूली किया जाना अवश्य ही चिन्ता का सबब बना हुआ है। महंगी फीस और परिवहन शुल्क ऊपर से लाकडाउन में आर्थिक तंगी ठीक उसी तरह जैसे कोढ़ में खाज। कोई सुनवाई नहीं, कोई राहत नहीं, सरकार का कोई स्पष्ट आदेश व निर्देश नहीं। आम आदमी अटकलों के बीच ही उलझा हुआ है। 

कभी बिजली का बिल तो कभी अन्य राजस्व देयों के बोझ को लेकर आम नागरिकों की कमर झुकने लगी है। यदि लाकडाउन ऐसे ही चलता रहा तो आदमी की कमर टूट जायेगी साथ ही आदमी ही विलुप्त होने की कगार पर पहुँच जायेगा। विद्यालयी समस्याओं को लेकर जिले का हर तबका परेशान हाल है। नया सत्र, फीस, नई पुस्तकें, इनके दाम बीते सत्र से कई गुना अधिक, बैग, यूनिफॉर्म आदि....आदि.......आदि खर्चों को लेकर आम आदमी खप्तुल हवाश।  कैसे पढ़ायें अपने पाल्यों को इन महंगे विद्यालयों में। 

इन सब समस्याओं को लेकर चिन्तित जिले के युवा समाजसेवी सूरज कुमार उर्फ बन्टी गुप्ता ने बात करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन की वजह से प्रदेश के सभी स्कूलों को यह निर्देश दिया जा चुका है कि वह अभिभावकों पर फीस लेने का दबाव न बनायें, वहीं सरकार ने यह भी निर्देशित किया था कि परिवहन शुल्क भी न वसूला जाये। बावजूद इसके शिकायतें आ रही हैं कि स्कूलों के प्रबन्धतन्त्र व परिवाहन चालक अभिभावकों से फोन और व्हाट्सएप्प के जरिये संदेश भेजकर शुल्क (फीस) देने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इस तरह की खबरों के बारे में संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा (उ.प्र.) आराधना शुक्ला ने सवाल उठाया था कि जब स्कूल खुले ही नहीं है और बच्चे विद्यालय जा ही नहीं रहे हैं ऐसे में परिवहन शुल्क लेने का ख्याल कहाँ से आया। 

इसी के साथ प्रमुख सचिव ने सभी जिलाधिकारियों व जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि फीस व परिवहन शुल्क वसूली करने वाले विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। समाज सेवी सूरज गुप्ता ने कहा कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने बीते माह ही कहा था कि लाकडाउन की अवधि में अभी सभी निजी व सरकारी स्कूल बन्द हैं, ऐसे में जब छात्र-छात्राएँ स्कूल जा ही नहीं रहे हैं तो इस तरह के संदेश भेजकर उनसे शुल्क उगाही कैसे की जा सकती है। बन्टी गुप्ता ने कहा कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने कई बार स्कूल से फीस न मांगने की बात भी कही है। समाजसेवी के अनुसार जिलाधिकारियों व डी.आई.ओ.एस. को दिये गये निर्देश में प्रमुख सचिव ने लिखा है कि स्कूल फीस न देने के कारण यदि किसी छात्र व छात्रा को उक्त विद्यालय ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रख रहा है तो उस स्कूल को नोटिस जारी कर उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाये।

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